ओस की इक बून्द सी होती हैं बेटियाँ
सबके दुखो को खुद में पिरोती हैं बेटियाँ
रौशन करेगा बेटा तो बस एक हीं कुल को,
दो दो कुलो की लाज़ ढोती हैं बेटियाँ
कोई नहीं है अब तो एक दूसरे से कम
बेटा है अगर हीरा तो मोती हैं बेटियाँ
विधि का विधान यही दुनिया की रस्म है
मुट्ठी में भरी नीर सी होती हैं बेटियाँ
काँटो की राह पर खुद आगे बढ़ कर,
सबके लिए फूल बोती हैं बेटियाँ
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